archmage | Date: Monday, 30-May-2011, 2:50 PM | Message # 1 |
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SRI SANTOSHI MATA CHALISA श्री सन्तोषी माता चालीसा
दोहा श्री गणपति पद नाय सिर, धरि हिय शारदा ध्यान. सन्तोषी माँ की करुँ, कीरति सकल बखान. चौपाई जय संतोषी माँ जग जननी, खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी. गणपति देव तुम्हारे ताता, रिद्धि-सिद्धि कहलावहं माता. मात-पिता की रहो दुलारी, कीरति केहि विधि कहूँ तुम्हारी. क्रीट मुकुट सिर अनुपम भारी, कानन कुण्डल की छवि न्यारी. सोहत अंग छटा छवि प्यारी, सुन्दर चीर सुन्हरी धारी. आप चतुर्भुज सुघड़ विशाला, धारण करहु गले वन माला. निकट है गौ अमित दुलारी, करहु मयूर आप असवारी. जानत सबही आप प्रभुताई, सुर नर मुनि सब करहिं बढ़ाई. तुम्हरे दरश करत क्षण माई, दुख दरिद्र सब जाय नसाई. वेद पुराण रहे यश गाई, करहु भक्त का आप सहाई. ब्रह्मा ढ़िंग सरस्वती कहाई, लक्ष्मी रुप विष्णु ढ़िंग आई. शिव ढ़िंग गिरिजा रुप बिराजी, महिमा तीनों लोक में गाजी. शक्ति रुप प्रकट जग जानी, रुद्र रुप भई मात भवानी. दुष्ट दलन हित प्रकटी काली, जगमग ज्योति प्रचंड निराली. चण्ड मुण्ड महिशासुर मारे, शुम्भ निशुम्भ असुर हनि डारे. महिमा वेद पुरानन बरनी, निज भक्त के संकट हरनी. रुप शारदा हंस मोहिनी, निरंकार साकार दाहिनी. प्रकटाई चहुंदिश निज माया, कण कण में है तेज समाया. पृथ्वी सूर्य चन्द्र अरु तारे, तव इंगित क्रम बद्ध हैं सारे. पालन पोषण तुम्ही करता, क्षण भंगुर में प्राण हरता. बह्मा विष्णु तुम्हें निज ध्यावैं, शेश महेश सदा मन लावें. मनोकामना पूरण करनी, पाप काटनी भव भय तरनी. चित्त लगाय तुम्हें जो ध्याता, सो नर सुख सम्पत्ति है पाता. बन्ध्या नारि तुमहिं जो ध्यावै, पुत्र पुष्प लता सम वह पावैं. पति वियोगी अति व्याकुल नारी, तुम वियोग अति व्याकुलयारी. कन्या जो कोई तुमको ध्यावैं, अपना मन वांछित वर पावै. शीलवान गुणवान हो मैया, अपने जन की नाव खिवैया. विधि पूर्वक व्रत जो कोई करहीं, ताहि अमित सुख सम्पत्ति भरहीं. गुड़ और चना भोग तोहि भावै, सेवा करै सो आनन्द पावै. श्रद्धा युक्त ध्यान जो धरहीं, सो नर निश्चय भव सों तरहीं. उद्यापन जो करहि तुम्हारा, ताको सहज करहु निस्तारा. नारि सुहागिन व्रत जो करती, सुख सम्पत्ति सों गोद भरती. जो सुमिरत जैसी मन भावा, सो नर वैसो फ़ल पावा. सोलह शुक्र जो व्रत मन धारे, ताके पूर्ण मनोरथ सारे. सेवा करहि भक्ति युक्त जोई, ताको दूर दरिद्र दुख होई. जो जन शरण माता तेरी आवै, ताकै क्षण में काज बनावै. जय जय जय अम्बे कल्याणी, कृपा करौ मोरी महारानी. जो यह पढ़ै मात चालीसा, तापे करहिं कृपा जगदीशा. निज प्रति पाठ करै इक बारा, सो नर रहै तुहारा प्यारा. नाम लेत ब्याधा सब भागे, रोग दोश कबहूँ नही लागे. दोहा सन्तोषी माँ के सदा बन्दहुँ पग निश वास. पुर्ण मनोरथ हों सकल मात हरौ भव त्रास.
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Message edited by sanju - Monday, 30-May-2011, 2:51 PM |
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Manu | Date: Tuesday, 12-July-2011, 1:33 AM | Message # 2 |
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| श्री सन्तोषी माता चालीसा SRI SANTOSHI MATA CHALISA
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Manu | Date: Tuesday, 12-July-2011, 1:43 PM | Message # 3 |
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